मैं बहस में भाग नहीं लेता, क्योंकि बहस जीतने से भी किसी व्यक्ति की जीवनशैली नहीं बदल सकती।

यह वक्तव्य सकामोटो र्योमा के चरित्र और दर्शन को प्रतिबिंबित करता है। यह उनके इस दृष्टिकोण को उजागर करता है कि वे केवल बहस जीतने का लक्ष्य नहीं रखते थे, बल्कि दूसरों के साथ एक गहरी समझ और सहानुभूति की तलाश में थे। बकुमात्सु काल के अशांत समय में, र्योमा ने विभिन्न स्थितियों और विचारधाराओं वाले लोगों के बीच सेतु का काम किया। वे बहस या विवाद के माध्यम से दूसरों को समझाने के बजाय, अपने कार्यों और प्रभाव के जरिए वास्तविक परिवर्तन को बढ़ावा देने पर जोर देते थे।

यह कथन इंगित करता है कि र्योमा ने संवाद या बहस को नकारा नहीं है, लेकिन शब्दों के माध्यम से लोगों के दिलों और जीवनशैली को बदलने की कठिनाई को स्वीकार किया था। उन्होंने माना कि लोगों को सच में प्रभावित करने और समाज को बदलने के लिए, कार्य और अभ्यास अत्यंत आवश्यक हैं। इसके अलावा, यह वक्तव्य र्योमा की सहिष्णुता और विविध मूल्यों और जीवन शैलियों के प्रति उनके सम्मान की भी झलक देता है। उन्होंने विभिन्न विचारों और स्थितियों को स्वीकार किया, और इन अंतरों को पार कर साझा लक्ष्यों की ओर बढ़